What is Integrated Injection Logic?

 Integrated Injection Logic (I2L)

जैसा कि हम जानते हैं कि DCTL परिवार current hogging के दोष के कारण प्रयोग के लिये उपयुक्त नहीं है। DCTL के आधार पर ही कुछ वर्ष पूर्व एक नया लॉजिक Integrated Injection Logic विकसित हुआ। I2L लॉजिक DCTL की भांति ही सरल है। इसके लिये सिलिकॉन चिप का बहुत कम क्षेत्र (space) प्रयोग किया जाता है। इसमें शक्ति व्यय बहुत कम होता है। Integrated Injection Logic का फेब्रिकेशन आसान तथा सस्ता है। बाइपोलर ट्रांजिस्टर (BPT) के फेब्रिकेशन में 5 मास्किंग तथा 3 डिफ्यूजन प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है जब कि Integrated Injection Logic फेब्रिकेशन में चार मास्किंग तथा दो डिफ्यूजन की क्रियायें की जाती हैं। I2L के इन गुणों के कारण यह MSI तथा LSI चिप के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुआ है। I2L का प्रयोग SST के लिए उपयुक्त नहीं है। यह लॉजिक LSI के लिए अकेला सेचुरेटेड बाइपोलर लॉजिक है। Click Here to read this article in English

I2L तकनीकी का सिद्धान्त कम्पोनेन्टस का merging है अर्थात् एक अर्धचालक क्षेत्र, दो या अधिक युक्तियों का एक उभयनिष्ठ भाग होता है। इस प्रकार की merging के कारण यह लॉजिक Merged Transistor Logic (MTL) भी कहलाता है। इस तकनीकी के प्रयोग से सिलिकॉन चिप पर काफी स्थान (space) की बचत होती है।

Integrated Injection Logic इनवर्टर | I2L Inverter

चित्र  में Integrated Injection Logic इनवर्टर का परिपथ प्रदर्शित किया गया है। यदि इनपुट Vi ‘LOW’ (Vi = 0) है तब ट्रांजिस्टर T1 ‘OFF’ होता है तथा बेस धारा IB1 = 0 | इनपुट स्रोत धारा I1 के लिए सिंक (sink) की भाँति कार्य करता है अतः धारा 12 ट्रांजिस्टर T2 के बेस में से प्रवाहित होती है जिसके कारण यह ट्रांजिस्टर (T2) सेचुरेशन में ड्राइव हो जाता है। जब T1 ‘OFF’ होता है तब T2 ‘ON’ होता है (VBE) = VCE2, = 0.8 V) ।

Integrated Injection Logic

इसके विपरीत जब इनपुट ‘HIGH’ (Vi = 0.8V) होती है तब बेस धारा IB1 के दो घटक (components) होते हैं एक I1, तथा दूसरा स्रोत Vi, के कारण, अतः ट्रांजिस्टर T1, सेचुरेट हो जाता है (VCE1 = VCE (Sar)= 0.2V)। ट्रांजिस्टर T2, कट-ऑफ हो जाता

है तथा T2, धारा I2 के लिए सिंक (sink) की भांति कार्य करता है। इससे ज्ञात होता है कि Vo का लॉजिक स्तर Vi का कम्प्लीमेन्ट है अर्थात् ट्रांजिस्टर T1 एक इनवर्टर की भांति कार्य करता है। इस परिपथ में लॉजिक स्विंग (swing) लगभग 0.6 V के बराबर होता है।

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