What is Emitter Coupled Logic | ECL- हिंदी

Emitter Coupled Logic in Hindi | ECL

Emitter Coupled Logic की गति अन्य सभी लॉजिक परिवारों से अधिक (fastest) है अतः इसका प्रयोग अति उच्च गति के अनुप्रयोगों में किया जाता है। ECL में उच्च गति प्राप्त होने का मुख्य कारण यह है कि इसमें ट्रांजिस्टर, डिफरेंस एम्पलीफायर प्रणाली में संयोजित किये जाते हैं। ECL में ट्रांजिस्टर पूर्णतया सेचुरेटेड तथा कट आफ स्थितियों में प्रचालित होने के स्थान पर कट ऑफ तथा एक्टिव क्षेत्र (active region) के मध्य प्रचालित होते हैं। ECL में प्रोपेगेशन डिले टाइम 1 nano sec से भी कम प्राप्त करना सम्भव है। Click here to read this article in English

मूलतः ECL की कार्य प्रणाली डिफ्रेन्स एम्पलीफायर पर आधारित है। इस लॉजिक में एमिटर्स को परस्पर संयोजित किया जाता है। अतः यह Emitter Coupled Logic कहलाता है। चित्र में एक 3-इनपुट ECL गेट प्रदर्शित किया गया है। इसके तीन मुख्य भाग हैं। मध्य वाला भाग लॉजिक ऑपरेशन सम्पन्न करता है। परिपथ में T1, T2 तथा T3 लॉजिक ट्रांजिस्टर हैं। T4 रेफरेन्स ट्रांजिस्टर है। लॉजिक ट्रांजिस्टर तथा रेफरेन्स ट्रांजिस्टर के एमिटर परस्पर संयोजित हैं। कामन एमिटर प्रतिरोध RE का मान अधिक (large) होता है तथा यह Constant Current Source की भांति कार्य करता है। ट्रांजिस्टर T4 के बेस को रेफरेन्स वोल्टेज VR दी जाती है।

emitter coupled logic

Emitter Coupled Logic परिपथ का ऑपरेशन | Operation of ECL circuit

जब सभी इनपुट A, B तथा C ग्राउण्ड पोटेन्शियल (logic 0) पर होती है तब T1, T2 तथा T3 कट आफ पर होते हैं एवं प्रतिरोध R1 में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती। ट्रांजिस्टर T1 ,T2 ,T3 का कामन कलेक्टर पोटेन्शियल लगभग Vcc के बराबर हो जाता है। इससे ट्रांजिस्टर T5 चालन (conduction) में ड्राइव हो जाता है। अतः T5 की आउटपुट पॉजिटिव (logic 1) हो जाती है।

यदि कोई एक इनपुट पॉजिटिव होती है तथा इसका मान रेफरेन्स वोल्टेज VR से अधिक (logic 1) होता है तब उस इनपुट से सम्बन्धित ट्रांजिस्टर में धारा प्रवाहित होगी। कलेक्टर वोल्टेज का मान कम होगा जिसके प्रभाव से ट्रांजिस्टर T5 के एम्पियर की आउटपुट भी कम (logic 0) हो जायेगी।

ECL के गुण | Advantages of ECL

एमिटर्स की परस्पर कपलिंग (coupling) होने के कारण ट्रांजिस्टर सेचुरेशन में नहीं जाते क्योंकि प्रतिरोध RE स्थिर धारा स्रोत (constant current source) का कार्य करता है। जैसे ही लॉजिक ट्रांजिस्टर (T1, T2 या T3) में धारा बढ़ती है, रेफेरेन्स ट्रांजिस्टर T4 में धारा कम हो जाती है। ट्रांजिस्टरों के सेचुरेशन में न जाने से परिपथ को अति तीव्र ( very fast) गति की स्विचिंग प्राप्त होती है जिसका मान कुछ nano seconds में होता है। ECL में शक्ति व्यय अपेक्षाकृत उच्च (लगभग 50 mW) होता है। एमिटर फालोअर के प्रयोग से परिपथ को आउटपुट प्रतिबाधा ( output impedance) बहुत कम हो जाती है जिससे कि fan-out का मान उच्च (लगभग 25) हो जाता है।

ECL परिवार का उपयोग मुख्य रूप से बड़े कम्प्यूटर्स में किया जाता है जहाँ पर प्राथमिकता (priority), उच्च प्रचालन गति होती है।

ECL ‘OR/NOR’ गेट

चित्र  (a) में एक ECL OR/NOR गेट प्रदर्शित किया गया है।  चित्र  (b) में 3-इनपुट OR / NOR गेट का प्रतीक (ECL OR/NOR Gate symbol) प्रदर्शित किया गया है।

ecl or nor gate

  • चित्र(a)- 3-इनपुट ECL OR/NOR गेट
  • (b)3-इनपुट ECL OR/NOR गेट का प्रतीक

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