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Types of Memory in Hindi | मैमोरी का वर्गीकरण (Memory Classification)
मैमोरी मुख्य रूप से दो प्रकार(Types of memory in Hindi ) की होती हैं – प्राइमरी (primary or main) मैमोरी तथा स्टोरेज मैमोरी। R/WM (Read and Write Memory) तथा ROM (Read Only Memory), प्राइमरी मैमोरी हैं। माइक्रोप्रोसैसर, इन मैमोरी को प्रोग्राम स्टोर करने तथा एक्जीक्यूट करने के लिए प्रयोग करता है। इन मैमोरी की गति (speed of operation) इतनी तीव्र होनी चाहिए कि यह माइक्रोप्रोसैसर की एक्जीक्यूशन की गति से मैच (respond) कर सके। अतः यह रैन्डेम एक्सेस मैमोरी (random access memory) होनी चाहिए अर्थात माइक्रोप्रोसैसर समान गति से किसी भी रजिस्टर को एक्सेस (access) कर सके। Types of memory in Hindi इस आर्टिकल में हम मेमोरी के विभिन्न प्रकार पर चर्चा करेंगे। Click here to read this article in English
दूसरे प्रकार की मैमोरी स्टोरेज मैमोरी है, उदाहरणतः डिस्क, टेप इत्यादि। इस मैमोरी का प्रयोग किसी प्रोग्राम के एक्जीक्यूशन के पश्चात् प्राप्त परिणाम स्टोर करने के लिए किया जाता है। इन मैमोरी में स्टोर की गई सूचनाएँ नॉन-वोलेटाइल (non-volatile) होती हैं अर्थात् सिस्टम को ऑफ करने पर भी सूचनाएँ बनी (intact) रहती हैं। माइक्रोप्रोसैसर इन युक्तियों पर स्टोर किये गये प्रोग्रामों तक सीधे नहीं पहुँच सकता, इसके लिए प्रोग्राम को पहले R/W प्राइम मैमोरी में कॉपी (Copy) करना आवश्यक है। अतः प्राइम मैमोरी का आकार ही यह निश्चित करता है कि सिस्टम कितने बड़े प्रोग्राम को प्रोसेस कर सकता है। स्टोरेज मेमोरी का आकार असीमित होता है। जब एक डिस्क अथवा टेप भर जाये, दूसरी प्रयोग की जा सकती है।
RAM or RW मैमोरी
अर्धचालक मैमोरी में, सूचना स्टोर करने के लिए अनेक सैल (cells) होते हैं। प्रत्येक सैल, सूचना का एक बिट स्टोर करता है। चिप पर किसी भी सैल तक पहुँचने के लिए समान समय लगता है। उदाहरणतः यदि किसी मैमोरी में 16384 सैल हैं तब सैल 1 तथा 16384 वें सैल तक एक्सेस (access) करने में माइक्रोप्रोसैसर समान समय लेता है। इस प्रकार एक्सेस करना रैन्डम एक्सेस (random access) कहलाता है। चुम्बकीय टेप पर स्टोर की गई सूचनाओं को ‘random access’ नहीं किया जा सकता। उसे एक क्रम में ही अर्थात् प्रारम्भ से (sequentially) ही एक्सेस किया जा सकता है। रैन्डम एक्सेस मैमोरी को RAM द्वारा व्यक्त किया जाता है तथा वर्तमान समय में अर्धचालक RAM व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है। इन मैमोरी के सैलों में सूचनाएँ लिखी (write) जा सकती हैं तथा सैलों से सूचना प्राप्त (read) की जा सकती है।
अर्द्धचालक फ्लिप फ्लॉप को प्रयुक्त कर बनायी गयी मैमोरी का एक बाइनरी सैल चित्र में प्रदर्शित किया गया है। सैल (Cell) में एक R-S फ्लिप फ्लॉप तथा अन्य गेट प्रयुक्त किये गये हैं। ‘IN’ टर्मिनल पर ‘1′ प्रयुक्त करने पर फ्लिप फ्लाप 1-state में आ जाता है यदि Write सिगनल भी ‘1′ स्टेट में है। बाइनरी सैल की आउटपुट, Read सिगनल सप्लाई करने पर ‘OUT’ टर्मिनल पर उपलब्ध होती है।
स्टैटिक एवं डायनेमिक रैम | Static and Dynamic RAMs in Hindi
माइक्रोप्रोसैसर प्रणालियों में दो प्रकार की RAMs (or Read/Write) मैमोरी प्रयोग की जाती हैं। स्टैटिक रैम (SRAM) तथा डायनेमिक रैम (DRAM)। स्टैटिक RAM फ्लिप फ्लॉप्स का एक समूह होता है तथा इसमें विट, वोल्टेज के रूप में स्टोर होता है, जबकि डायनेमिक रैम MOS ट्रान्जिस्टर गेट्स द्वारा बनती है। स्टैटिक RAM का मुख्य अभिलक्षण यह है कि इसके सैल में सूचना का एक बिर लिखे जाने के बाद यह उस बिट को उस समय तक सुरक्षित (retain) रखती है जब तक कि उसके ऊपर कोई अन्य बिट न लिखा जाये (overwrite), अथवा चिप की पावर सप्लाई बन्द न हो जाये।
डायनेमिक RAM चिप के सैल, SRAM की तुलना में अधिक छोटे होते हैं तथा इसमें (DRAM में) इनफॉर्मेशन, एक कैपेसिटर पर चार्ज के रूप में स्टोर होती है। एक सामान्य DRAM, समान क्षेत्र (same area) में SRAM की तुलना में 4 गुनी सूचनाएँ स्टोर कर सकती है। इस कारण से DRAMs में प्रति बिट मूल्य कम होता है।
चूंकि DRAM में सूचनाएँ कैपेसिटर पर आवेश (charge) के रूप में स्टोर होती है। अतः स्टोर की गई सूचना को सुरक्षित रखने (retain) के लिए कुछ 1 मिलिसेकन्ड के पश्चात् मैमोरी को रिफ्रेश (refresh) करना पड़ता है। रिफ्रेश करने के लिए अतिरिक्त परिपथों को आवश्यकता होती है जिसके कारण डायनेमिक RAM का माइक्रोप्रोसैसर के साथ इन्टरफेसिंग, स्टैटिक RAMs के साथ इन्टरफेसिंग से अधिक जटिल (complex) हो जाता है। सामान्यतः विशाल मैमोरी क्षमता (large memory capacity) वाले सिस्टम ही डायनेमिक RAMs प्रयोग करते हैं। इससे मैमोरी का मूल्य कम हो जाता है। अधिकांश पर्सनल कम्प्यूटर्स (PCs) में डायनेमिक RAMs प्राइमरी मैमोरी की भाँति प्रयुक्त की जाती है। स्टैटिक RAMs उस अवस्था में प्रयोग की जाती हैं जब प्रचालन गति (speed of operation) महत्वपूर्ण होती है, अथवा मैमोरी का आकार बहुत बड़ा नहीं होता या सिस्टम डिजाइन में मूल्य का महत्व बहुत अधिक नहीं होता।
रीड-ओनली मैमोरी | Read Only Memory ‘ROM’ in Hindi
ROM एक पूर्व नियोजित (pre-programmed) चिप है तथा माइक्रोप्रोसैसर इसको केवल पढ़ सकता है। इस प्रकार ROM में एक बार सूचनाएँ रिकॉर्ड करने के पश्चात उसे केवल ‘READ’ कार्य के लिए ही प्रयोग किया जा सकता है। इसका कोई अन्य उपयोग नहीं किया जा सकता। ROM में सूचनाएँ सामान्यत: मैमोरी के निर्माता द्वारा ही रिकॉर्ड की जाती हैं। यह एक नॉन-वोलेटाइल मैमोरी है। पावर सप्लाई ऑफ होने पर भी इसमें स्टोर की गई इनफॉर्मेशन बनी (retain) रहती है.
चित्र में स्थायी (permanent) ROM समूह में दो प्रकार की मैमोरी दी गयी हैं—मास्कड ROM तथा PROM। इसी प्रकार इरेजिबिल समूह में भी दो प्रकार की मैमोरी हैं – EPROM तथा EE-PROMI
मैमोरी ‘ROM’ का सिद्धान्त अर्धचालक डायोडों को एक मैट्रिक्स फॉर्मेट में व्यवस्थित कर समझाया जा सकता है जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। चित्र में हॉरीजोन्टल लाइनें, वर्टीकल लाइनों से केवल डायोडों द्वारा संयोजित की गई हैं। आठ हॉरीजोन्टल कतारों (horizontal rows) को 8 बाइनरी रजिस्टरों की भाँति माना जा सकता है जिनके बाइनरी एड्रैस 000 से 111 तक हैं। रजिस्टरों में सूचनाएं 0 अथवा 1 के रूप में स्टोर होती हैं। डॉयोड की उपस्थिति ‘1’ को स्टोर करती है तथा अनुपस्थिति 0 स्टोर करती है। जब कोई रजिस्टर सलैक्ट होता है तब उस लाइन की वोल्टेज बढ़ जाती है तथा आउटपुट लाइनें, जहाँ डायोड संयोजित हैं, भी High हो जाती हैं। उदाहरणतः जब मैमोरी रजिस्टर 010 सलैक्ट होता है, तब डेटा लाइनों D7 – Do पर डाटा बाइट 00110110 (= 36H) पढ़ा जा सकता है
चित्र में प्रदर्शित ROM का डॉयोड तुल्यांक वास्तव में मॉसफेट (Mosfet) मैमोरी सैल का सरल रूप है। ROM के निर्माता MOSFET मैट्रिक्स को स्टोर की जाने वाली सूचनाओं के अनुसार डिजाइन करते हैं। अतः ROM में सूचनाएँ स्थायी रूप से रिकार्ड हो जाती हैं जैसे कि किसी रिकॉर्ड पर संगीत हो जाता है।
विभिन्न प्रकार की ROMs का विवरण निम्न प्रकार है-
Masked ROM in Hindi
मास्क ROM में बिट पैटर्न मास्किंग तथा मेटलाइजेशन प्रक्रियाओं द्वारा स्थायी रूप से रिकॉर्ड कर दिया जाता है। यद्यपि यह एक महँगी एवं विशिष्ट (specialised) प्रक्रिया है, परन्तु बड़ी संख्या में बनाने पर मूल्य उचित रहता है।
PROM in Hindi |Programmable Read Only Memory
माइक्रोप्रोसैसर में प्रोग्राम की जा सकने वाली (programmable) ROM को PROM कहते हैं। इसे हम (user) केवल एक बार प्रोग्राम कर सकते हैं।प्रोग्राम किये जाने के पश्चात यह एक सामान्य ROM की भाँति ही व्यवहार करती है। इस मैमोरी में नाइक्रोम अथवा पॉलीसिलिकॉन के तार एक मैट्रिक्स में व्यवस्थित होते हैं जिन्हें डॉयोड अथवा फ्यूज की भांति माना जा सकता है। फ्यूज का जलना अथवा न जलना (retain) यह निर्धारित करता है कि सैल में 1 स्टोर है अथवा 0। इस क्रिया को ‘बर्निंग द प्रोम’ (burning the PROM) कहते हैं तथा इसके पश्चात डाटा (bit pattern) स्थायी रूप से स्टोर हो जाता है।
EPROM in Hindi | Erasable Programmable ROM
वह PROM, जिसे अल्ट्रावॉयलेट किरणों द्वारा इरेज (erase) किया जा सकता है तथा पुनः प्रोग्राम (reprogram) किया जा सकता है, EPROM कहलाती है। EPROM को इरेज करने के लिए चिप को परिपथ से निकाला जाता है तथा इसमें बनी क्वार्ट्ज विन्डो से कुछ समय (लगभग 15 से 66) मिनट) तक अल्ट्रावॉयलेट किरणें डाली जाती हैं। इरेज करने का समय अल्ट्रावॉयलेट प्रकाश की तीव्रता एवं इस प्रकाश में रखे जाने की अवधि के गुणनफल पर निर्भर करता है। उदाहरणतः इन्टेल 27256 EPROM को 15-20 मिनट में इरेज किया जा सकता है यदि इसे 15 W-s/cm2 की तीव्रता की अल्ट्रावॉयलेट किरणों में रखा जाये।
चूंकि EPROM अनेक बार प्रयोग की जा सकती है अतः यह प्रयोगात्मक कार्यों, रिसर्च कार्यों तथा उद्योगों में प्रोडक्ट डेवेलपमेन्ट (product development in industries) में व्यापक रूप से प्रयोग की जाती है।
‘EE-PROM | Electrically Erasable PROM
यह मैमोरी, फंक्शन की दृष्टि से EPROM के समान ही है। EPROM में मुख्य दोष यह है कि उसे इरेज करने के लिए उसके सामान्य परिपथ से बाहर निकालना पड़ता है 1 EEPROM को उसके ऑपरेशन के सामान्य परिपथ से बाहर निकालने की आवश्यकता नहीं है। इसे इसके सामान्य कार्य करते समय ही इलेक्ट्रिकल सिगनल देकर इरेज तथा प्रोग्राम किया जा सकता है। माइक्रोप्रोसैसर प्रणालियों में सॉफ्टवेयर को प्रायः अपडेट (update) किया जाता है। यदि सिस्टम में EEPROMs प्रयोग की जाये तब उसे किसी सैन्ट्रल कम्प्यूटर से, टेलीफोन लाइन प्रयोग कर, किसी रिमोट लिंक से इरेज तथा पुनः प्रोग्राम किया जा सकता है। उदाहरणतः माइक्रोप्रोसैसर पर आधारित प्रोसैस कन्ट्रोल प्रणालियों में पैरामीटर्स के परिवर्तन सम्बन्धी सूचनाएँ, एक इलेक्ट्रिकल सिगनल देकर अपडेट की जा सकती हैं।
एक सामान्य EEPROM का इरेज टाइम 10 ms हैं जबकि EPROM का इरेज टाइम 15 से 20 मिनट होता है।
फ्लैश मैमोरी |Flash Memory in hindi
यह EEPROM का ही एक स्वरूप है। फ्लैश तथा EEPROM में मुख्य अन्तर इरेजिंग विधि में है। EEPROM में उसके किसी भी रजिस्टर को इरेज किया जा सकता है जबकि फ्लेश मैमोरी को पूर्णतया (entire memory) इरेज करना पड़ता है।
माइक्रोप्रोसैसर पर आधारित प्रणालियों (microprocessor-based systems) में प्रोग्राम सामान्यतः ROM में लिखे जाते हैं तथा डाटा, जो प्रायः परिवर्तित होता रहता है, R/W मैमोरी में स्टोर किया जाता है। उदाहरण के लिए माइक्रोप्रोसैसर द्वारा नियन्त्रित रेलवे टिकट बुकिंग में वे प्रोग्राम, जो ट्रेन के किसी स्टेशन पर पहुँचने अथवा छूटने का समय, विभिन्न स्टेशनों के मध्य दूरियाँ, ट्रेन नम्बर तथा भाडा इत्यादि से सम्बन्धित होते हैं, ROM में स्थायी रूप से स्टोर रहते हैं तथा अन्य डाटा, उदाहरणतः यात्री का नाम, आयु, बर्थ संख्या इत्यादि कुंजी बोर्ड द्वारा R/W मैमोरी में प्रवेश (enter) किया जाता है
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