Analog and Digital Signals in hindi | एनालॉग और डिजिटल सिग्नल

Analog and Digital Signals

इस आर्टिकल में हम analog and digital signals के बारे में पढेंगे। इलेक्ट्रॉनिक्स के लगभग सभी operation में analog and digital signals का प्रयोग किया जाता है । डिजिटल सिद्धांत पर आधारित युक्तियो ऊदाहरणत: calculator, watches एवं computer इत्यादि से भली भांति परिचित होंगे। इन यंत्रों का मनुष्य के सामान्य जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। इस क्रांति का मुख्य कारण integrated circuits(ICs) की खोज है जिसका विकास पिछले कुछ वर्षों में semiconductor टेक्नोलॉजी में असीमित उन्नति के कारण संभव हुआ। इसमें से अधिकांश लोग computer, digital watches या calculator की कार्य प्रणाली से परिचित नही होंगे फिर भी ये हमारे जीवन का एक आवश्यक अंग बन गए हैं। इन सभी युक्तिओं का operation(प्रचालन ) digital technique पर आधारित है। Read this article in English

Analog Signals in hindi | एनालॉग सिग्नल्स

एनालॉग और digital operation मुख्य रूप से लोड line के भिन्न प्रकार से प्रयोग पर निर्भर है। एनालॉग सर्किट्स में लोड लाइन के समीपस्थ बिंदु(adjacent points) प्रयोग किये जाते हैं। जिससे आउटपुट वोल्टेज continuous  मिलती है। इसी कारण से आउटपुट वोल्टेज के infinite मान हो सकते हैं। एनालॉग प्रचालन प्राप्त करने की सबसे सरल विधि sinusoidal(ज्यावक्रीय) इनपुट प्रयोग करना है। ऊदाहरणत: इलेक्ट्रॉनिक एम्पलीफायर, एम्पलीफायर में लगातार परिवर्तित होने वाली इनपुट, लगातार परिवर्तित होने वाली आउटपुट उत्पन्न करती है। इस प्रकार के लगातार परिवर्तित होने वाले सिग्नल एनालॉग सिग्नल(analog signal) कहलाते हैं।

digital signal in hindi | डिजिटल सिग्नल

इसके विपरीत प्रायः सभी digital सर्किट्स दो अवस्थाओ (two states) के लिए डिजाईन किये जाते हैं। इसका अर्थ लोड लाइन पर दूर स्थित (nonadjacent) दो बिन्दुओ को प्रयोग करना है। ऊदाहरणत: saturation point तथा कट ऑफ बिंदु। इन बिन्दुओं के प्रयोग से आउटपुट वोल्टेज की केवल दो अवस्थाएं LOW अथवा HIGH होती हैं । digital operation प्राप्त करने की सबसे सरल विधि square wave input प्रयुक्त करना है। square wave input का उच्च स्तर(higher level) प्रयोग करने से यह ट्रांजिस्टर को saturation तथा cut off अवस्था में ड्राइव करती है जिससे two state आउटपुट प्राप्त होती है।

यह सिग्नल हमेशा LOW अथवा HIGH में से किसी के स्तर पर होता है । इस प्रकार का सिग्नल digital सिग्नल कहलाता है ।

Advantages of digital Signals

digital सिग्नल के व्यापक रूप से प्रयोग किये जाने के मुख्य कारण निम्न हैं ।

  • १. digital सर्किट्स में प्रयोग की जाने वाली युक्तियाँ प्रायः ON अथवा OFF में से किसी एक अवस्था में ऑपरेट होती हैं जो की एक सरल operation है ।
  • २. digital सर्किट्स के basic operation की संख्या बहुत कम है तथा उन्हें समझाना सरल है ।
  • ३. digital technique बूलियन अलजेब्रा(Booleon algebra) पर आधारित है जो एक अत्यंत सरल गणितीय क्रिया है ।
  • ४. digital सर्किट्स की क्रिया सरल विधुतीय सर्किट्स (इलेक्ट्रिकल सर्किट्स )पर आधारित है। इन सर्किट्स में विभिन्न युक्तियों के switching speed तथा  loading characteristics प्रयुक्त किये जाते हैं । इसके विपरीत एनालॉग सर्किट्स में frequency characteristic तथा complicated circuit analysis technique की आवश्कता होती है, जिसके कारण इन सर्किट्स को digital सर्किट्स की तुलना में समझना  कठिन होता है ।
  • ५. विभिन्न operation करने के लिए डिजिटल सर्किट्स ICs के रूप में सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं । यह अत्यधिक विश्वसनीय एक्यूरेट तथा इनकी operation गति उच्च होती है ।
  • ६.digital सर्किट्स के प्रचालन पर components के characteristics का विचलन, उनकी आयु, टेम्परेचर, शोर (नॉइज़ ) इत्यादि का प्रभाव बहुत कम पड़ता है ।
  • ७. digital सर्किट्स का एक विशेष गुण उनकी मेमोरी क्षमता है जिसके कारण यह computer, कैलकुलेटर्स के लिए अत्यधिक उपयुक्त हैं ।

Types of Digital signal in Hindi | डिजिटल सिग्नल के प्रकार

जैसे की उपर वर्णन किया गया है की digital सिग्नल ले दो स्तर होते हैं। दो भिन्न प्रकार के digital सिग्नल फोटो में प्रदर्शित किये गए हैं । प्रत्येक सिग्नल के दो निश्चित स्तर(discrete level) हैं। यह स्तर LOW और HIGH शव्दों द्वारा प्रदर्शित किये जाते हैं ।नीचे फोटो (a) निम्न स्तर को LOW तथा उच्च स्तर को HIGH द्वारा अंकित किया गया है जबकि फोटो (b) उच्च स्तर को LOW तथा निम्न स्तर को HIGH द्वारा अंकित किया गया है । ऐसे digital सर्किट्स जिनमे फोटो (a) में प्रदर्शित सिग्नल प्रयुक्त किया जाता है, पॉजिटिव लॉजिक सिस्टम (positive logic system) कहलाते हैं । फोटो (b) में प्रदर्शित सिग्नल को प्रयुक्त करके ऑपरेट होने वाले सर्किट्स नेगेटिव लॉजिक सिस्टम (negative logic system) कहलाते हैं । दोनों प्रकार के सिग्नल्स में एक विशेष बात ध्यान देने योग्य है की निर्दिष्ट स्तर के सांगत वोल्टेज स्थिर नही है बल्कि प्रत्येक स्तर पर वोल्टेज का एक रेंज अंकित है । जब तक वोल्टेज इस सीमा में रहती है तब तक इसका स्तर भी वही मन जाता है उदाहरणत: पॉजिटिव लॉजिक में ३.५ V से ५ V तक प्रत्येक वोल्टेज HIGH मानी जाएगी तथा नेगेटिव लॉजिक में यह LOW मानी जाएगी । इस प्रकार ० से १ वोल्ट तक प्रत्येक वोल्टेज पॉजिटिव लॉजिक में LOW तथा नेगेटिव लॉजिक में HIGH मानी जाएगी । LOW तथा HIGH स्तर के संगत वोल्टेज सभी सर्किट्स में समान नही होती बल्कि विभिन्न logic family के लिए भिन्न होती है ।

analog and digital signal

 

digital सिग्नल के हाई तथा लो स्तर बाइनरी डिजिट १ तथा ० से भी प्रदर्शित किये जा सकते हैं । बाइनरी डिजिट (1और 0 ) बिट कहलाते हैं। क्युकी digital सिग्नल का स्तर १ अथवा ० में से कोई एक ही हो सकता है अतः digital सिस्टम के विश्लेषण के लिए बाइनरी नंबर सिस्टम को प्रयुक्त किया जा सकता है। ये दोनों अवस्थाये अथवा स्तर “1 और 0” या “ON और OFF” या “true और false” द्वारा भी प्रदर्शित किये जा सकते हैं ।

आशा करते हैं की आपको analog and digital digital signal पर यह आर्टिकल पसंद आया होगा ।


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